पीत्वा पीत्वा पुनः पीत्वा, यावत्पतति भूतले । उत्थाय च पुनः पीत्वा, पुनर्जन्म न विद्यते ।।

                          चार्वाक दर्शन
चार्वाक दर्शन, भारत का एक प्राचीन नास्तिक और भौतिकवादी दर्शन है. इसे लोकायत दर्शन भी कहा जाता है. चार्वाक दर्शन के बारे में कुछ खास बातेंः 
चार्वाक दर्शन के मुताबिक, केवल वही वास्तविक है जो प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है या अनुमान लगाया जा सकता है. 
चार्वाक दर्शन में पुनर्जन्म, कर्म, या आध्यात्मिक मुक्ति के किसी भी रूप में विश्वास नहीं किया जाता. 
चार्वाक दर्शन के मुताबिक, संसार में केवल चार तत्वों की सत्ता है - पृथ्वी, जल, तेज और वायु. 
चार्वाक दर्शन के मुताबिक, जब तक जीना है, सुख से जीना चाहिए. 
चार्वाक दर्शन के मुताबिक, स्वर्ग और नर्क की कल्पना नहीं की जाती. 
चार्वाक दर्शन के मुताबिक, खाना-पीना, मौज करना और सुख का आनंद लेना चाहिए. 
चार्वाक दर्शन को वेदबाह्य दर्शन माना जाता है. 
चार्वाक दर्शन के अग्रदूत अजित केशकंबली को माना जाता है. 
चार्वाक दर्शन के संस्थापक बृहस्पति को माना जाता है. 
चार्वाक दर्शन के बारे में जानकारी ऐतिहासिक माध्यमिक साहित्य से संकलित की गई है. 

यावत् जीवेत् सुखं जीवेत्, ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत् । भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः ।।

पीत्वा पीत्वा पुनः पीत्वा, यावत्पतति भूतले । उत्थाय च पुनः पीत्वा, पुनर्जन्म न विद्यते ।।